Tuesday, August 9, 2011

किसको सुनाऊ दास्तान अपनी


पल -2 मैं सोचता हुईं 
किसको सुनाऊ दास्तान अपनी 
किसको सुनाऊ राजगार अपनी 
कैसे उसने दोखा दिया 
कैसे उसने छोड़ दिया 
वादा किया साथ निभाने का था 
कैसे उसने वो तोड़ दिया 
ना  भूल पाया उसकी बेवफाई को 
तो कैसे भूलूंगा उसका प्यार 
कर  दिए तुक्रे दिल के उसने
कैसे समेटूं इनको यार
किसको सुनाऊ दास्तान अपनी 
किसको सुनाऊ राजगार अपनी 
कोण सुनेगा कोन रुकेगा 
सुनने को मेरी कहानी 
शुरू करता हूँ सुनना तो 
आंख पहले भर आती है 
दिल के टूटे टुकड़ों में जब 
तस्वीर उसकी दिख जाती है  
दर्द की लहर दोड़ जाती है 
खुली किताब है मेरी कहानी 
जैसे समुंदर में बहता पानी 
कहाँ जून किसको सुनाऊ दास्तान अपनी 
ये दुखभरी कहानी !!!!!!!